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Ratan Tata का निधन: 86 वर्ष की उम्र में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन ने मुंबई अस्पताल में अंतिम सांस ली

Ratan Tata, former chairman of Tata Sons, passes away at 86 in Mumbai's Breach Candy Hospital. Learn about his legacy and contributions to Tata Group.

मुंबई, 9 अक्टूबर 2024 – भारत के महान उद्योगपति और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनका निधन मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ, जहाँ उन्हें ब्लड प्रेशर अचानक गिरने के कारण भर्ती किया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रतन टाटा की तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया था, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें नहीं बचाया जा सका।

रतन टाटा की अंतिम स्थिति और अस्पताल में भर्ती

रतन टाटा के ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उनके स्वास्थ्य में और भी गिरावट आई, जिसके चलते उन्हें आईसीयू में रखा गया। इससे पहले, 7 अक्टूबर को रतन टाटा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए लोगों को आश्वस्त किया था कि उनकी तबियत को लेकर चल रही अफवाहें गलत हैं। उन्होंने कहा था कि वह उम्र से संबंधित चिकित्सा जांच से गुजर रहे हैं और चिंता की कोई बात नहीं है।

रतन टाटा का संदेश: ‘कोई चिंता की बात नहीं’

रतन टाटा ने X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा था, “मैं फिलहाल अपनी उम्र से संबंधित चिकित्सा जांच करवा रहा हूं। कोई चिंता की बात नहीं है। मैं अच्छे मनोबल में हूं।” उन्होंने मीडिया और जनता से अपील की थी कि “गलत जानकारी फैलाने से बचें।”

ब्लड प्रेशर की समस्या से पीड़ित थे रतन टाटा

डॉक्टरों के अनुसार, रतन टाटा के ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट आना उनके स्वास्थ्य में अचानक गिरावट का मुख्य कारण हो सकता है। दिल्ली के डॉ. प्रत्यूष मेहरा ने बताया, “ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट कई कारणों से हो सकती है, जैसे डिहाइड्रेशन या कुछ विशेष दवाइयों के साइड इफेक्ट्स।”

रतन टाटा की विरासत: एक युग का अंत

रतन टाटा ने भारत के औद्योगिक जगत में अपार योगदान दिया। उन्होंने 1991 में टाटा संस के चेयरमैन का पद संभाला और 2012 में अपनी सेवानिवृत्ति तक कंपनी का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने कई नए क्षेत्र जैसे टेलीकॉम और आईटी में कदम रखा। 1996 में उन्होंने टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना की और 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कराया, जिससे यह कंपनी आईटी सेक्टर में एक प्रमुख नाम बन गई।

रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई और वे भारत के सबसे सम्मानित उद्योगपतियों में से एक बन गए। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें भारत के बिजनेस समुदाय में एक आदर्श बना दिया। उनकी उदारता और परोपकार के कामों ने उन्हें न सिर्फ व्यवसायिक रूप से बल्कि सामाजिक रूप से भी महान बनाया।

टाटा ग्रुप के योगदान

रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया। उनका ध्यान न सिर्फ बिजनेस विस्तार पर था, बल्कि उन्होंने समाज कल्याण और परोपकार में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम किया।

रतन टाटा का जीवन और करियर

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर की पढ़ाई की और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम में स्नातक किया। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत टाटा ग्रुप के साथ की और धीरे-धीरे कंपनी के शीर्ष पर पहुंच गए।

रतन टाटा का जीवन प्रेरणादायक है, और उनका निधन भारत के औद्योगिक और सामाजिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

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